Monday, 11 February 2013

बारिश का नशा


********* बारिश का नशा **********
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झर झर झर रही है बूँदे बारिश की ,
मदहोश करती शराब किसी महखाने की .

हम भी रूबरू उनसे हुए तब,
गिरी नज़रे उनकी हमपे जब।
तन मन सब भीगा हया से तब,
स्पर्श करता आलिंगन उनका जब।

रोमांचित करती पहली छुवन वो,
डूबा गयी हमे दरिया में वो। 
बलखाती इठलाती हिलोरे भारती,
डूब दिल की गहराई में जाती .
........कल्पना बहुगुणा
 

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