Friday 26 August 2011

एक प्रश्न अपने आप से ...


एक प्रश्न उठता है मन में बार बार 
क्या राजनीति में कोई जादुई शक्ति है? 
कि इंसान अपनी इंसानियत, नैतिकता, ईमानदारी 
ये सब कर देता है एक किनारे अपने से...

फिर एक प्रश्न फिर उठता है मन में बार बार 
कि अगर भविष्य में कभी ईश्वर ये मौका दे 
तो क्या में भी इन सबको भुलाकर  ,
अपनी अंतरात्मा को नही सुनूगी ....

फिर एक घिरणा का भाव उठता है मन में बार बार 
ऐसी राजनीति को धिक्कार है 
जो इंसान को उसकी इंसानियत  भुला दे 
जो इंसान की नेइतिकता को दांव पर लगा दे 

फिर एक निष्कर्ष रूप मन में आता है बार बार
यदि हो देश के  सच्चे नागरिक  हम 
तो निष्पक्ष और बिना पद के भी हम 
देश सेवा ,समाज सेवा कर सकते है ...........द्वारा अपनी कल्पना .

Saturday 20 August 2011

baat bas itni si hai...

बात बस इतनी सी है कि ,
कभी ये चेहरा भी याद कर लिया करो .
वक़्त का क्या पता ,
गर कभी ये याद किया तो नज़र न आये.

यूँ ही वक़्त निकल जाता है ,
भूली बिसरी यादें रह जाती है .
मन में यही यादें ,
उम्र भर एक दर्द सी बन जाती है.

यूँ तो जीवन एक सफ़र है ,
इस सफ़र में कई साथ मिलेंगें .
पर पूरा सफ़र साथ निभाने को नहीं होगा,
तब हमको याद करोगे हम नज़र नहीं आयेंगें .

बात बस इतनी सी है कि .....
गर समझ सको तो समझ लेना ,
ढाई आखर प्रेम को,
अपने दिल में बसा लेना .. द्वारा अपनी कल्पना

Tuesday 2 August 2011

teej

आया है सावन, आया है सावन
बरखा की बूंदों के साथ सखी
आया है आया है ये तीज त्यौहार
झूम लो झूम लो संग आज मेरे सखी
झूम मस्ती में आज अपनी कल्पना के साथ सखी
...
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