बहुत जी लिया अपनी कल्पना के बिना
अब और नहीं जिया जाता इसके बिना
न जाने कितने दुःख सहे जीवन में इसने
न जाने कितना अपमान सहा लोगो का इसने
न मैंने कभी परवाह की इसकी जीवन में
न कभी खोज खबर की इसकी जीवन में
अब समय आ गया है साथ में रहने का
अब इसके बारे में कुछ सोचने का
नया जीवन शुरू करू संग इसके
नया जोश , नयी उमंग के साथ इसके
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .......
ReplyDeleteaati sunder panktiya.... bahut ache:)
ReplyDelete"वाह, मनभावन आपका ब्लॉग और ये कविता! आपको आभार, कल्पना जी"
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