अपनी कविताओं के बिखरे अक्षरों को
अभी समेटने की कोशिश मी लगी हूँ .
कोशिशों की सफलता पर मेरी
शाब्बाशी मिले या न मिले तेरी
इस मंच की गहराइयों से
उस ऊँचाई को छू सकूँ
मन मी एक दंभ लिए
उस कामयाबी की थाह पा सकूँ
बेईसाखी की तरह एक सहारा बनकर
एक हमसफ़र, एक शुभचिंतक बनकर
बस हाथ थामे रहना
हौंसला मेरा बढ़ाते रहना .......
...कल्पना
bahut khoob!!
ReplyDeleterachna bahut hi achhi hai magar shabdawli par jra dhyan dene ki jarurat hai!!
एक हमसफ़र, एक शुभचिंतक बनकर
ReplyDeleteबस हाथ थामे रहना
हौंसला मेरा बढ़ाते रहना ......वाह बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना आपकी और रचना की इंतज़ार में .
..
Bahut sundar rachana hai...keep it up ....
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